Wednesday 5 October 2011

कही नए ख्वाब न पल जाये आँखों में ,,,, सम्हाल के रखना कदम यादो की कतारों में..

कही नए ख्वाब  न पल जाये आँखों में ,,,, सम्हाल के रखना कदम यादो की कतारों में.. 

जो देखे थे सपने .. उनको हकीकत में बदला नहीं ..
और नए ख्वाब  सजाने की ताकत मुझे में नहीं .. ।


जज्बातों  की आंधियो से कभी तो जर्रा  भी हिलता नहीं .
कई दफ्फा यूँ ही  ... मज़बूत इरादे वाला भी टिक पता नहीं  ..।


लम्बे सफ़र साथ चलने का वादा किया करते थे
अब वो साथी साथ भी नहीं .. 

एक बार आ जाओ चाहे अब हाथ में जलती वो ...धू -धू  करती तन्हाई नहीं 


फिर कशिश मेरे ख्यालो में लहू बन कर दौड़ रही है  ..
तम्हे हिचकी आई की नहीं आई ... इस सवाल से मस्ती आँखों में घुल रही है ..
बस .. बस बेशरम हो गए हम... वो कतरा अभी तक वही थमा है पलकों पे .. टपकता ही नहीं ..
अब वक़्त हो चला है .. बिन फ़िक्र जीने का
बारिश थम गई ... नहीं है फ़िक्र किसी गरीब के गिरने का ..a
बढ़ कर कोई हाथ दे दे अब तो वो वक़्त भी नहीं ..
क्युकी  शहर कोई भी हो .. वक़्त है अपनों के  बीच भी अजनबी बन कर जीने का ..

.ये तो बस दिल फरेबी है .. बुरे वक़्त पे साथ कोई देता ही नहीं
...


सितम वक़्त के इतने है .. की कोई यादो के साये से बदन छुपा पता नहीं ..
याद भी कमबख्त चीज़ है जालिम .. जैसे लड़कपन अजनबी बचे का

पर जो मासूम अपनापन  दे जाता .. वो तो कोई पुराना दोस्त दे पता नहीं ..
.

Tuesday 4 October 2011

एक फटे हाल कागज़ से न पूछ के उसका ये हाल कैसे हुआ होगा.....

एक फटे हाल कगाज़ से न पूछ के उसका ये हाल कैसे हुआ होगा ? ..
वो लम्हा बेहद  ज़ज्बाती रहा होगा .. जब उसने मुझे फाड़ कर यूँ इश्त्माल किया होगा.. 
उसने तो बना लिया अपना काम .. आखरी दम मुझे कोरा ही छोड़ दिया होगा..
क्या कमल खुशफ़हमी है  उसकी ... वो सौचता क्या वो उसका हाल सौचता होगा..?.

अब तो तुम्हारे पास दिलकश हशीन बट्टे हुंगी .. क्यों कर मेरे फटे हाल का इश्त्माल तुम्हरे पास होगा
फिर भी यही गुहार लगता रहूँगा तमसे .. कोरा रख लो मुझको
क्युकी मैं तुम्हारे उस गुजरे ज़ज्बात का आइना बना रहूँगा


यही तो ज़िन्द्ग्दी का फलसफा है .. हर चीज कीमती है  ..
बस इस बात  का अंदाज़ा तम्हे एक दिन होगा.. 



एक फटे हाल कागज़ से न पूछ के उसका ये हाल कैसे हुआ होगा.....