Tuesday 4 October 2011

एक फटे हाल कागज़ से न पूछ के उसका ये हाल कैसे हुआ होगा.....

एक फटे हाल कगाज़ से न पूछ के उसका ये हाल कैसे हुआ होगा ? ..
वो लम्हा बेहद  ज़ज्बाती रहा होगा .. जब उसने मुझे फाड़ कर यूँ इश्त्माल किया होगा.. 
उसने तो बना लिया अपना काम .. आखरी दम मुझे कोरा ही छोड़ दिया होगा..
क्या कमल खुशफ़हमी है  उसकी ... वो सौचता क्या वो उसका हाल सौचता होगा..?.

अब तो तुम्हारे पास दिलकश हशीन बट्टे हुंगी .. क्यों कर मेरे फटे हाल का इश्त्माल तुम्हरे पास होगा
फिर भी यही गुहार लगता रहूँगा तमसे .. कोरा रख लो मुझको
क्युकी मैं तुम्हारे उस गुजरे ज़ज्बात का आइना बना रहूँगा


यही तो ज़िन्द्ग्दी का फलसफा है .. हर चीज कीमती है  ..
बस इस बात  का अंदाज़ा तम्हे एक दिन होगा.. 



एक फटे हाल कागज़ से न पूछ के उसका ये हाल कैसे हुआ होगा.....

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