"ज़िंदगी .....! जो एहसास खास बनाती है .... जज़्बातों में उतर निखारे जाती है । ज़िंदगी .....! फकत नाम न रह जाये ....लम्हा-लम्हा जो एहमियत अपनी बढ़ाती है ।"