आदमजात कभी तो रोता है....सही लिखा है आपने बिलकुल....इंसान कितना भी मजबूत हो खुदगर्ज हो..पर कभी न कभी हर इंसान कि जिंदगी में एक ऐसा दौर जरूर आता है...जब वो अपने आप को कमजोर हारा हुआ, और बिखरा महसूस करता है ....और उसे भी एक कंधे कि यानी साहारे कि जरुरत होती है....ऐसा लगा पढ़ कर के बहुत दिल से और महसूस करके लिखा है आपने इस कविता को....बहुत बढ़िया .....धन्यवाद इतनी सुन्दर रचना के लिए भाई .......
आदमजात कभी तो रोता है....सही लिखा है आपने बिलकुल....इंसान कितना भी मजबूत हो खुदगर्ज हो..पर कभी न कभी हर इंसान कि जिंदगी में एक ऐसा दौर जरूर आता है...जब वो अपने आप को कमजोर हारा हुआ, और बिखरा महसूस करता है ....और उसे भी एक कंधे कि यानी साहारे कि जरुरत होती है....ऐसा लगा पढ़ कर के बहुत दिल से और महसूस करके लिखा है आपने इस कविता को....बहुत बढ़िया .....धन्यवाद इतनी सुन्दर रचना के लिए भाई .......
ReplyDeleteअच्छा है, अनुराग जी, कभी ना कभी तो हर कोई रोता, सच्ची बात, अच्छे तरीके से कही गयी. Good work!
ReplyDeleteBahot hi sundar shabdo ka chayan... bade bhai, sach h kabhi na kabhi esa jarur hota hai har koi rota h fir chahe wajah koi b ho... superb.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !!! प्रिती, नीरज जी, शशी, दिव्या .. बहुत बहुत आभार ..!!! thank you so much !!!!!
ReplyDeletebahut hi shaandaar likha hai anurag bhai... waah kya baat hai......
ReplyDelete---sudeep
सुंदर रचना--- रोता है तभी तो आदमजात जीता है भाई...!!
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