"ज़िंदगी .....! जो एहसास खास बनाती है .... जज़्बातों में उतर निखारे जाती है । ज़िंदगी .....! फकत नाम न रह जाये ....लम्हा-लम्हा जो एहमियत अपनी बढ़ाती है ।"
भाई क्या खूब भाव पिरोये हैं आपने .. माँ शारदे आपका पुण्य मार्ग प्रशस्त करे |मुझे ख़ास कर तीसरा अंश बहुत करीब महसूस हुआ | जाने क्यूँ मुझे एक द्वन्द बहुत भा रहा है |इस रचना से मुलाक़ात कराने का आपका सादर आभार |
भाई क्या खूब भाव पिरोये हैं आपने .. माँ शारदे आपका पुण्य मार्ग प्रशस्त करे |
ReplyDeleteमुझे ख़ास कर तीसरा अंश बहुत करीब महसूस हुआ |
जाने क्यूँ मुझे एक द्वन्द बहुत भा रहा है |
इस रचना से मुलाक़ात कराने का आपका सादर आभार |