सच और झूठ का नीति-शास्त्र,
कई अनदेखे राज़ खोल देता है ।
पटापट झूठ बोलने वाले की,
एक रोज़ पोलपट्टी खोल देता है ।
झूठ कितना सुनहरा हो मिले,
समय का जौहरी, खोटा बोल देता है ।
अंश भर की भी सत्यता रही अगर,
फिर वो परख कर, सही मोल देता है ।
सोने की कीमत, सच को ही मिलती,
झूठ तो लोहे के दाम जाता है ।
चमक असल की ही असली,
नकली तो झट मुरझा जाता है ।
सच...
ReplyDeleteसच है अनमोल....
अनु
आभार अनु जी !
ReplyDeletesahi kaha aapne bhiyaa.....
ReplyDeletejab jhooth ki roti khaati hai
jindagi kashmkash ban jaati hai
na pet me jaakar pach paati hai
sirf kalah klesh failaati hai..
ek aur badiyaa sandesh aapki is rachna me...bahut sundar
बहुत बहुत आभार प्रीति ,
Deleteभावपूर्ण पंक्तीयों से दी टिप्पणी इसे और प्रभावशाली बना रहा है .. वाह ! बहुत खुब !!
पुन: आभार !
"सत्यमेव जयते " यूँ ही नहीं कहा जाता ,,सच में ही वो ताकत है ,वो धैर्य है ,जो आपको कमजोर तो लग सकता है कई बार ,मगर अंत में उसका लोहा मानना ही पड़ता है ..सारे संसार को ...बस आज नहीं तो कल ......झूठ किता भी चमकीला क्यूँ न हो ..एक दी उसकी कलई खुल के रहती है .."सचे का बोल बाला झूठे का मुह काला",
ReplyDeleteएहसास जी आप इसी तरह से अपने विचारों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत करते रहा करें ..।धन्य्वाद
चन्दर भाई
Deleteधन्यभाग्य मेरे की आप जैसे मित्रों ने सदा आशीष वचन दे कर मुझे प्रोत्साहित किया । आप ऐसे ही प्रोत्सहित करते रहें हम लिखते रहेंगे .. जो कभी गलत लिख जाये, तो आपकी टिप्पणी मेरा मार्ग प्रशस्त करेगी ।
हर्दय से आभार !
सत्य वचन. बहुत अच्छे.
ReplyDeletesach ka sandes deti aapki sachhi si rachna :-)
ReplyDeleteमेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
Sarahniye hai ,aapke likhne ki andaj Anurag g......... ( www.bnjraj08.com )
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