Thursday 14 March 2013

सच और झूठ ...



सच और झूठ का नीति-शास्त्र,
कई अनदेखे राज़ खोल देता है । 
पटापट झूठ बोलने वाले की,
एक रोज़ पोलपट्टी खोल देता है ।

झूठ कितना सुनहरा हो मिले,
समय का जौहरी, खोटा बोल देता है । 
अंश भर की भी सत्यता रही अगर, 
फिर वो परख कर, सही मोल देता है । 

सोने की कीमत, सच को ही मिलती,   
झूठ तो लोहे के दाम जाता है ।  
चमक असल की ही असली, 
नकली तो झट मुरझा जाता है । 

                      



9 comments:

  1. सच...
    सच है अनमोल....

    अनु

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  2. आभार अनु जी !

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  3. sahi kaha aapne bhiyaa.....
    jab jhooth ki roti khaati hai
    jindagi kashmkash ban jaati hai

    na pet me jaakar pach paati hai
    sirf kalah klesh failaati hai..
    ek aur badiyaa sandesh aapki is rachna me...bahut sundar

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    1. बहुत बहुत आभार प्रीति ,
      भावपूर्ण पंक्तीयों से दी टिप्पणी इसे और प्रभावशाली बना रहा है .. वाह ! बहुत खुब !!

      पुन: आभार !

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  4. "सत्यमेव जयते " यूँ ही नहीं कहा जाता ,,सच में ही वो ताकत है ,वो धैर्य है ,जो आपको कमजोर तो लग सकता है कई बार ,मगर अंत में उसका लोहा मानना ही पड़ता है ..सारे संसार को ...बस आज नहीं तो कल ......झूठ किता भी चमकीला क्यूँ न हो ..एक दी उसकी कलई खुल के रहती है .."सचे का बोल बाला झूठे का मुह काला",
    एहसास जी आप इसी तरह से अपने विचारों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत करते रहा करें ..।धन्य्वाद

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    1. चन्दर भाई
      धन्यभाग्य मेरे की आप जैसे मित्रों ने सदा आशीष वचन दे कर मुझे प्रोत्साहित किया । आप ऐसे ही प्रोत्सहित करते रहें हम लिखते रहेंगे .. जो कभी गलत लिख जाये, तो आपकी टिप्पणी मेरा मार्ग प्रशस्त करेगी ।
      हर्दय से आभार !

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  5. सत्य वचन. बहुत अच्छे.

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  6. sach ka sandes deti aapki sachhi si rachna :-)

    मेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...

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  7. Sarahniye hai ,aapke likhne ki andaj Anurag g......... ( www.bnjraj08.com )

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