कोई सूरतेहाल तो करार का हो,
इक लम्हा बेहद भरा प्यार का हो ।
कभी तो नेक दिल बन ,ऐ मेरे ख़ुदा !
कोई अपना ना अपने से कभी हो जुदा ।
आखिर बिछ्ड़ते हैं एक रोज़ सभी ,
साँसों की डोर है जब तक बंधी ।
एक दूजे की यादों में डूबे इस कदर,
लगे तमाम गहराईयां समेटे बैठा हो....
फिर, जज़्बात में उथल पुथल सी बनी रहे,
जैसे जो नही हुआ, वो अभी..बस अभी.... हुआ हो ।
अब तो तुझ पर से भी ऐतबार उठ रहा है ,
अगर...कहीं होता है ऐसा ख़ुदा
तो ऐसी ख़ुदाई से रखो मुझे ज़ुदा ..
जिस तरफ देखो ख़ुशियों के झूठे चिराग़ जल रहे ,
किसी आग में जिन्दगियाँ तप रही ..
और ना जाने कितने अनदेखे से ज़ख्म पल रहे ।
लगे अनमोल पंचतत्व मिट्टी को ही
मिट्टी में मिलाने की जुस्तजू कर रहे,
या रब ! सुन मेरी फरियाद एक लम्हे के लिये ही सही..
ज़हीन बना दे , जो रास्ते से भटक रहे..
आखिर कब तलक तेरी सीढ़ियों को रंगे लहू धोयेंगे
क्या तेरे हाथों में भी धब्बे के निशान ना उभरेंगे..
अब तो लगे.. लड़ पडूँ मै तुझसे .
कैसे कहूँ किसी को कि हाफ़िज़ रहे ख़ुदा..
जब ख़ुदाई के फ़लसफ़े से तू ही है जुदा..
हर पल बस यही गुहार है ...
सुन ले ये दिल की पुकार है ..
कोई सूरतेहाल तो करार का हो ,
इक लम्हा बेहद भरा प्यार का हो ।अनुराग त्रिवेदी " एहसास ....!"
इक लम्हा बेहद भरा प्यार का हो ।
कभी तो नेक दिल बन ,ऐ मेरे ख़ुदा !
कोई अपना ना अपने से कभी हो जुदा ।
आखिर बिछ्ड़ते हैं एक रोज़ सभी ,
साँसों की डोर है जब तक बंधी ।
एक दूजे की यादों में डूबे इस कदर,
लगे तमाम गहराईयां समेटे बैठा हो....
फिर, जज़्बात में उथल पुथल सी बनी रहे,
जैसे जो नही हुआ, वो अभी..बस अभी.... हुआ हो ।
अब तो तुझ पर से भी ऐतबार उठ रहा है ,
अगर...कहीं होता है ऐसा ख़ुदा
तो ऐसी ख़ुदाई से रखो मुझे ज़ुदा ..
जिस तरफ देखो ख़ुशियों के झूठे चिराग़ जल रहे ,
किसी आग में जिन्दगियाँ तप रही ..
और ना जाने कितने अनदेखे से ज़ख्म पल रहे ।
लगे अनमोल पंचतत्व मिट्टी को ही
मिट्टी में मिलाने की जुस्तजू कर रहे,
या रब ! सुन मेरी फरियाद एक लम्हे के लिये ही सही..
ज़हीन बना दे , जो रास्ते से भटक रहे..
आखिर कब तलक तेरी सीढ़ियों को रंगे लहू धोयेंगे
क्या तेरे हाथों में भी धब्बे के निशान ना उभरेंगे..
अब तो लगे.. लड़ पडूँ मै तुझसे .
कैसे कहूँ किसी को कि हाफ़िज़ रहे ख़ुदा..
जब ख़ुदाई के फ़लसफ़े से तू ही है जुदा..
हर पल बस यही गुहार है ...
सुन ले ये दिल की पुकार है ..
कोई सूरतेहाल तो करार का हो ,
इक लम्हा बेहद भरा प्यार का हो ।अनुराग त्रिवेदी " एहसास ....!"
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