जिगर चहिये सच को कबूलने का..
मर्दे जुबान चहिये सच को वसूलने का
हौसला रखो, तो झूठ कभी सिर चढ़ कर ना बोले,
क्युकि सौ झूठ को असर चाहिये, एक सच को झुठ्लाने का..।
ज़िन्दगी पे लानत भेजो, जो बुजदिली से जी जाये,
जिगर को बुलन्द करो कि सच भी तुम्हारी जुबान पे सज़ जाये..
क्या हैरत है की बिन पिये ही..
ज़िन्दगी ए सुरुर मे गुल गुलशन गुलफाम हो जाये..।
मर्दे जुबान चहिये सच को वसूलने का
हौसला रखो, तो झूठ कभी सिर चढ़ कर ना बोले,
क्युकि सौ झूठ को असर चाहिये, एक सच को झुठ्लाने का..।
ज़िन्दगी पे लानत भेजो, जो बुजदिली से जी जाये,
जिगर को बुलन्द करो कि सच भी तुम्हारी जुबान पे सज़ जाये..
क्या हैरत है की बिन पिये ही..
ज़िन्दगी ए सुरुर मे गुल गुलशन गुलफाम हो जाये..।
sach yaar jigar chahiye iss tarah thoughtfull line likhne ka ... bhaut bhaut acha hai
ReplyDeleteBehtareen dost... Bahut hi accha aur ek ek shabd sach bayan karta hua...
ReplyDeleteLikhne ka aj mn b nhi hai
ReplyDeletesabdo me aj bjn b nhi hai
sine se bs dil gayb hai aisa nhi ki dharkn b nhi hai